बिहार बोर्ड मैट्रिक सामाजिक विज्ञान : आपदा प्रबंधन अध्याय- 1 ( प्राकृतिक आपदा : एक परिचय का OBJECTIVE (QUIZ) QUESTIONS दिए गए है इसकी मदद से आप अपने परीक्षा की तैयारी को और बेहतर बना सकते है, हर सवाल में सही उतर पर हरा रंग और गलत उतर पर लाल रंग दिखाएंगे सारे सवालों का जवाब देने के बाद अंत में आपको अपना परिणाम मिलेगा - RSL PLUS 

आपदा 

जिन किन्हीं कारणों से मनुष्य और जीव-जन्तु संकट में पड़ते हैं उन कारणों को ‘आपदा’ कहते हैं। आपदा कहीं भी और कभी भी प्रकट हो सकती है। आपदाओं से लोग इस कारण संकट में पड़ जाते हैं, क्योंकि आपदा सूचना देकर नहीं आती। आपदा से बचने का प्रयास करना चाहिए। बचाव का काम व्यक्तिगत नहीं, सामूहिक रूप में किया जाता है ।

आपदा  की प्रकार :

आपदा दो प्रकार की होती है : (i) प्राकृतिक तथा (ii) मानव जनित ।

(i) प्राकृतिक आपदा-भूकंप, सुनामी, बाढ़, सूखा, आँधी, चक्रवात, बादल का फटना आदि प्राकृतिक आपदा हैं।

(ii) मानव जनति आपदा-आतंकवाद, लूटपाट, आगलगी, युद्ध, धार्मिक या जातीय दंगे आदि मानव जनित आपदाएँ हैं।

अधिक जानकारी इस क्विज के बाद दिया गया है।

कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान : आपदा प्रबंधन अध्याय- 1 ( प्राकृतिक आपदा : एक परिचय )

अन्य महत्वपूर्ण जानकारी :-

आपदा प्रबंधन की आवश्यकता 

आपदा प्रबंधन की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि इनसे जीवन संकट में पड़ा रहता है। न केवल जीवन संकट में पड़ता है, बल्कि विकास कार्य भी अवरुद्ध हो जाते हैं। इसके अलावे भी आपदा के आने से अनेक परेशानियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। जीवन को संकट से बचाने, विकास कार्यों को चालू रखने तथा सभी आई परेशानियों दूर करने के लिए आपदा प्रबंधन की आवश्यकता है।

सुनामी : जब समुद्र के तली में भूकम्प होता है, तो जल कई मीटर ऊँचाई तक उछाल लेकर तटीय क्षेत्र में तबाही मचाते हैं। जिसे सुनामी कहते हैं।

सूखाड़ : जब औसत वार्षिक वर्षा की मात्रा में 25 प्रतिशत से अधिक की कमी आती है तो उसे सूखाड़ कहते हैं। सामान्य तौर पर 50 सेमी से कम वर्षा वाले क्षेत्रों को प्रतिवर्ष सूखाड़ की स्थिति उत्पन्न होती है।

2008 में बिहार के कोशी नदी से भयंकर बाढ़ आया था, जिससे काफी जान-माल की क्षति हुई थी। कोशी नदी बिहार में हमेशा बाढ़ से तबाही मचाती है, इसलिए कोशी नदी को बिहार का शोक कहा जाता है।

जम्मु-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड भू-स्खलन और मृदा-स्खलन से सर्वाधिक ग्रसित राज्य है। पर्वतीय क्षेत्रों में चट्टानों के टूटने से भू-स्खलन होती है। हिम-स्खलन अत्यंत ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों में घटती है।

1934 में बिहार में भूकंप आया था। बिहार के कई भागों में जमीन फट गई थी। सैकड़ों लोग मौत के शिकार हो गए थे। हजारों लोग बेघर हो गए थे।

भूकंप और सुनामी भारत के लिए बड़ी चुनौती है। भूकंप निरोधी भवनों के निर्माण से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।

26 दिसम्बर, 2004 को भारत के पूर्वी तट और अंडमान निकोबार पर भंयकर सुनामी आया था, जिसमें लाखों लोग मर गए। हजारों लोग लापता हो गए तथा काफी जान-माल की क्षति हुई थी। सबसे अधिक इंडोनेशिया देश की इससे क्षति हुई थी।

किसी भी आपदा के पूर्वानुमान अथवा पूर्व जानकारी से विनाश को कम किया जा सकता है। इसका पाठ के अध्ययन का मूल उद्देश्य यही है।