बिहार बोर्ड मैट्रिक 10TH के भौतिक विज्ञान अध्याय 2 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार का OBJECTIVE (QUIZ) QUESTIONS दिए गए है इसकी मदद से आप अपने परीक्षा की तैयारी को और बेहतर बना सकते है, हर सवाल में सही उतर पर हरा रंग और गलत उतर पर लाल रंग दिखाएंगे सारे सवालों का जवाब देने के बाद अंत में आपको अपना परिणाम मिलेगा - RSL PLUS
मानव नेत्र और रंगबिरंगा संसार
यह अध्याय प्रकाश की महत्त्वपूर्ण परिघटनाओं, मानव नेत्र की संरचना और कार्य, तथा प्रकाश से जुड़े वैज्ञानिक कारणों को सरल भाषा में समझाता है।
मानव नेत्र की संरचना और कार्य:
कॉर्निया (Cornea): नेत्र का सबसे बाहरी पारदर्शी हिस्सा है, जहाँ सबसे पहले प्रकाश गिरता है। यह प्रकाश को वक्रता देता है।
परितारिका (Iris): यह आँख का रंगीन भाग होता है, जो पुतली (pupil) का आकार नियंत्रित करता है।
पुतली (Pupil): यह आँख का वह छिद्र है, जिससे होकर प्रकाश भीतर प्रवेश करता है। इसका आकार प्रकाश की मात्रा के अनुसार बदलता है।
नेत्र लेंस (Eye lens): यह एक उत्तल लेंस है, जो प्रकाश को अपवर्तित करके रेटिना पर वास्तविक और उल्टा प्रतिबिंब बनाता है।
रेटिना (Retina): यह आँख के अंदर प्रकाश-संवेदनशील परत होती है, जहाँ इमेज बनती है। यह संवेदी कोशिकाओं (rods और cones) से बनी होती है।
ऑप्टिक तंत्रिका (Optic Nerve): यह रेटिना से संकेत मस्तिष्क तक पहुँचाती है।
अधिक जानकारी इस क्विज के बाद दिया गया है।
कक्षा 10 - भौतिक विज्ञान अध्याय 2
अन्य महत्वपूर्ण जानकारी :-
मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार
समंजन (Accommodation):
यह नेत्र की वह क्षमता है जिससे यह निकट और दूर की वस्तुओं पर साफ़-साफ़ देख सकता है। इसके लिए लेंस की मोटाई और फोकस दूरी को बदला जाता है।
दृष्टि दोष (Eye Defects):
निकट दृष्टिदोष (Myopia): पास की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखती हैं, लेकिन दूर की वस्तुएँ धुंधली दिखती हैं। इसे अवतल लेंस से सुधारा जाता है।
दूर दृष्टिदोष (Hypermetropia): दूर की वस्तुएँ साफ दिखती हैं, लेकिन पास की वस्तुएँ धुंधली। इसे उत्तल लेंस से ठीक किया जाता है।
बूढ़ा दृष्टिदोष (Presbyopia): उम्र के साथ लेंस की लचीलापन कम हो जाता है और पास-दूर दोनों देखने में कठिनाई होती है।
अस्तिगमतism: कॉर्निया की सतह सम नहीं होती, जिससे अस्पष्ट चित्र बनते हैं। इसे बेलनाकार लेंस से ठीक किया जाता है।
मोतियाबिंद: लेंस धुंधला हो जाता है, जिससे दृष्टि कम हो जाती है। इसका इलाज ऑपरेशन से किया जाता है।
रंगबिरंगा संसार (Colourful World):
वर्ण-विक्षेपण (Dispersion): जब श्वेत प्रकाश प्रिज्म से गुजरता है तो वह सात रंगों में टूट जाता है — यही स्पेक्ट्रम कहलाता है।
प्रकीर्णन (Scattering): प्रकाश के वायुमंडल में कणों से टकराकर विभिन्न दिशाओं में फैलने की क्रिया। इससे: आकाश नीला दिखाई देता है।
सूर्योदय व सूर्यास्त के समय सूर्य लाल दिखता है।
इंद्रधनुष: सूर्य की किरणें वर्षा की जल बूँदों में अपवर्तन, परावर्तन और पुनः अपवर्तन से गुजर कर इंद्रधनुष बनाती हैं।
आभासी सूर्यास्त (Delayed Sunset): प्रकाश के अपवर्तन के कारण सूर्य अस्त होने के बाद भी कुछ समय तक दिखाई देता है।
मुख्य बिंदु:
मानव नेत्र बहुत जटिल और संवेदनशील है।
दृष्टिदोष सामान्य हैं और लेंस के उपयोग से ठीक किए जा सकते हैं।
प्रकाश के अपवर्तन, प्रकीर्णन और वर्ण-विक्षेपण के कारण दुनिया रंगीन दिखती है।
बिहार बोर्ड मैट्रिक 10वीं भौतिक विज्ञान के अध्याय 2 में मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार के बारे में चर्चा की गई है।
मानव नेत्र :-
- मानव नेत्र की संरचना: मानव नेत्र की संरचना में कॉर्निया, आईरिस, पुतली, लेंस, रेटिना और ऑप्टिक तंत्रिका शामिल हैं।
- मानव नेत्र की कार्य प्रणाली: मानव नेत्र प्रकाश को अवशोषित करके वस्तुओं को देखने में मदद करता है।
रंगबिरंगा संसार :-
- रंगों की उत्पत्ति: रंगों की उत्पत्ति प्रकाश के विभिन्न तरंगदैर्ध्यों से होती है।
- रंगों के प्रकार: रंगों के प्रकार में प्राथमिक रंग (लाल, हरा और नीला) और द्वितीयक रंग (पीला, मैजेंटा और सियान) शामिल हैं।
मानव नेत्र और रंग :-
- रंग दृष्टि: मानव नेत्र रंगों को देखने में सक्षम है, जो प्रकाश के विभिन्न तरंगदैर्ध्यों के कारण होता है।
- रंग अंधता: रंग अंधता एक ऐसी स्थिति है जिसमें मानव नेत्र कुछ रंगों को नहीं देख पाता है।
मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार अध्याय में निम्नलिखित अतिरिक्त बिंदु शामिल हैं :-
- नेत्र की दोष: नेत्र की दोष जैसे कि मायोपिया (निकट दृष्टि), हाइपरमेट्रोपिया (दूर दृष्टि) और एस्टिग्मैटिज्म को समझना और उनके निवारण के तरीके।
- रंगों का मिश्रण: रंगों का मिश्रण और उनके परिणाम, जैसे कि प्राथमिक रंगों को मिलाकर द्वितीयक रंग बनाना।
- प्रकाश का वर्णक्रम: प्रकाश का वर्णक्रम और इसके विभिन्न भाग, जैसे कि दृश्य प्रकाश, पराबैंगनी प्रकाश और अवरक्त प्रकाश।
- नेत्र की देखभाल: नेत्र की देखभाल के तरीके, जैसे कि नियमित नेत्र परीक्षण, उचित प्रकाश व्यवस्था और नेत्र सुरक्षा।
- रंगों का महत्व: रंगों का महत्व हमारे जीवन में, जैसे कि रंगों का उपयोग कला, डिज़ाइन और विज्ञापन में।
मानव नेत्र और रंगबिरंगा संसार के अनुप्रयोग :-
- चिकित्सा: मानव नेत्र और रंगबिरंगा संसार के ज्ञान का उपयोग चिकित्सा में नेत्र रोगों के निदान और उपचार में किया जाता है।
- कला और डिज़ाइन: रंगों का ज्ञान कला और डिज़ाइन में रचनात्मक कार्यों के लिए उपयोग किया जाता है।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी: मानव नेत्र और रंगबिरंगा संसार के ज्ञान का उपयोग विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नए उपकरणों और तकनीकों के विकास में किया जाता है।
निष्कर्ष :-
निष्कर्ष: मानव नेत्र और रंगबिरंगा संसार दोनों ही भौतिक विज्ञान के महत्वपूर्ण पहलू हैं, जो हमें अपने आसपास की दुनिया को समझने में मदद करते हैं।
यह जानकारी आपको मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार अध्याय के बारे में और अधिक जानने में मदद करेगी और आपको बिहार बोर्ड मैट्रिक 10वीं की परीक्षा के लिए तैयार करेगी।