रोजगार -
रोजगार का अर्थ देश के मानव संसाधन को ऐसे कार्यों में लगाना है जिससे देश की उत्पादकता बढ़े और सामान्य लोगों के लिए उसकी न्यूनतम आवश्यकाएँ रोटी, कपड़ा और मकान प्राप्त हो सकें।
बेरोजगार- ऐसे लोग जो काम करने के लायक होते हैं और जिन्हें उचित पारिश्रमिक पर काम नहीं मिलता है, उसे बेरोजगार कहते हैं।
आर्थिक विकास के मुख्य तीन क्षेत्र हैं-
- कृषि क्षेत्र- कृषि क्षेत्र पर कुल जनसंख्या का लगभग 67 प्रतिशत बोझ है।
- उद्योग क्षेत्र- रोजगार का दूसरा क्षेत्र उद्योग क्षेत्र है। इस क्षेत्र के माध्यम से रोजगार की प्राप्ति की जा रही है।
- सेवा क्षेत्र- सेवा क्षेत्र रोजगार का सबसे बड़ा क्षेत्र है। इस क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं।
कक्षा 10 – अर्थशास्त्रा अध्याय- 5 ( रोजगार एवं सेवाएँ )
सेवा क्षेत्र को सामान्यतः दो भागों में विभक्त किया गया है-
- सरकारी सेवा और 2. गैर सरकारी सेवा
सरकारी सेवा क्षेत्र- 1. सैन्य सेवा, 2. शिक्षा सेवा, 3. रेल सेवा, 4. बस सेवा, 5. वायुयान सेवा, 6. कृषि सेवा, 7. स्वास्थ्य सेवा, 8. अभियंत्रण सेवा, 9. वित्त सेवा, 10. बैंकिंग सेवा, 11. अन्य सरकारी सेवाएँ
गैर सरकारी सेवा- बैंकिंग सेवा, दूरसंचार सेवा, यातायात सेवा, स्वास्थ्य सेवा, स्वरोजगार सेवा, अन्य गैर सरकारी सेवाएँ
सेवा क्षेत्र के महत्व- सेवा एवं रोजगार एक ही तराजू के दो पलड़ों के समान हैं।
रोजगार सृजन के रूप में सेवा क्षेत्र की भूमिका- सेवा का क्षेत्र सरकारी हो या गैर सरकारी, दोनों ही परिस्थितियों में रोजगार पैदा करता है। सरकारी क्षेत्र के सहयोग से रोजगार सृजन निम्न सेवाओं के द्वारा किया जा रहा है- काम के बदले अनाज
विश्वव्यापी मंदी का शिकार भारत भी बना। कैसे ?
विशव्यापी मंदी का शिकार भारत पर भी पड़ा क्योंकि अमेरिका विश्व के अनेक देशों में भारतीय कर्मचारियों की छंटनी प्रारंभ हो गई और बेरोजगारी एक सर्वव्यापी समस्या बन गई।
सार्वजनिक क्षेत्र
सार्वजनिक क्षेत्र के अंतर्गत वे उद्योग आते हैं। जिन पर सर 179त्रण रहता है। इस क्षेत्र के उद्योग सरकार द्वारा संचालित एव नियंजित तथा सरकार ही उनका एकमात्र स्वामी होता है। इस प्रकार, राजकीय अथवा पर उपक्रमा के समह को सार्वजनिक क्षेत्र की संज्ञा दी जाती हैं। यह क्षेत्र र प्रक्रिया में लोक कल्याण को अधिक महत्व देता है।
सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर में अंतर
ये कंप्यूटर के दो मुख्य अंग हैं। सॉफ्टवेयर का प्रयोग कार्यक्रम आँकड़ों को इकट्ठा, नियंत्रण तथा संचित करने में होता है।
कंप्यूटर का वह भाग जिसे हम छू सकते हैं, हार्डवेयर कहलाता है जैसे बोर्ड, माउस इत्यादि।
सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े पाँच सेवा क्षेत्र
कॉल सेंटर, कोर बैंकिंग प्रणाली; दूरसंचार, इंटरनेट, बी० पी० ओ० (बाह्य स्रोती) इत्यादि सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े पाँच सेवा क्षेत्र हैं।
मंदी का असर भारत में
मंदी का असर भारत में कम पड़ा, परंतु सूचना-प्रौद्योगिकी एवं बाहा स्रोती में लगे तकनीकी वैज्ञानिकों के ऊपर सर्वाधिक असर देखने को मिला। विकसित देशों में कार्यरत इस क्षेत्र के कर्मचारियों की छंटनी शुरू हो गई और इस क्षेत्र से जडे लोगों में व्यापक बेरोजगारी की समस्या देखी गई। विदेशों में कार्यरत भारतीयों से प्राप्त आय की मात्रा भी घट गई।
आर्थिक संरचनाओं
आर्थिक संरचनाओं के अंतर्गत ही समस्त आर्थिक क्रियाकलाप संपन्न होते हैं। इन संरचनाओं के आधार पर हम किसी देश की प्रगति का आकलन कर सकते हैं। देश के सकल घरेलू उत्पाद, प्रतिव्यक्ति आय, वस्तुओं एवं सेवाओं की उपलब्धता ये समस्त प्रगति आर्थिक संरचनाओं पर ही आधारित हैं।
परिवार नियोजन
परिवार नियोजन का अर्थ होता है परिवार के बच्चों की संख्या नियंत्रित एवं सीमित करना तथा माताओं एवं शिशुओं के स्वास्थ्य की देखभाल करना।
संचार सेवाओं के विकास में कंप्यूटर का योगदान
संचार सेवाओं के विकास एवं प्रसार में कंप्यूटर का योगदान अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। कंप्यूटर एक स्वचालित मशीन है जिसके अनेक उपयोग है। आज दूरसंचार, परिवहन, विज्ञान, शिक्षा, चिकित्सा, संरक्षा, शोध एवं अनुसंधान आद क्षेत्र में कंप्यूटर का प्रयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। इससे इन सेवाओं के स्तर – सुधार हुआ है। कंप्यूटर के दो मुख्य अंग होते हैं सॉफ्टवेयर तथा हाडव कंप्यूटर सॉफ्टवेयर उद्योग श्रमप्रधान है तथा इसके उत्पादन में भारत विश्व का एक अग्रणी देश माना जाने लगा है। हमारे देश का बेंगलरु शहर सूचना-प्रौद्योगिका सॉफ्टवेयर का प्रतीक बन गया है। इस क्षेत्र में रोजगार की असीम सम्भावनाएं है
भारत विश्व के सेवा-प्रदाता के रूप में जाना जाता है,क्यो ?
भारत, चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश है भारत मानव संसाधन के रूप में सबसे धनी है। भारतीय इंजीनियर, डॉक्टर इत्यादि के रूप में विश्व स्तर पर कार्यरत हैं। बाह्य-स्रोती कार्यों में सबसे अधिक भारतीय ही शामिल हैं। यही कारण है कि भारत विश्व के सेवा प्रदाता के रूप में जाना जाता है।
मानव पूँजी के प्रमुख घटक कौन से हैं ?
मानव पूँजी के प्रमुख घटक हैं – भोजन की व्यवस्था, वस्त्र की उपलब्धता, आवास, बेहतर स्वास्थ्य एवं शिक्षा की सुविधा। ये सभी मानव विकास हेतु अत्यंत आवश्यक हैं।
भारत भविष्य का सबसे बडा सेवा प्रदाता देश है, कैसे ?
भारत विश्व की दूसरी सबसे बडी जनसंख्या वाला देश है।जहाँ विश्व के अन्य देशों की जनसंख्या बुढ़ापा की ओर बढ़ रही है। भारतीय जनसंख्या युवावस्था की ओर अर्थात् आने वाले समय में भारत ही सबसे बड़ा सेवा प्रदात्ता होगा।