भूकंप : पृथ्वी पर जब कभी कोई कंपन होती है तो भूकंप कहलाता है अर्थात दूसरे शब्दों में भूमि के कंपन को भूकंप कहते हैं।
सुनामी : जब समुद्र के तली में भूकम्प होता है, तो जल कई मीटर ऊँचाई तक उछाल लेकर तटीय क्षेत्र में तबाही मचाते हैं। जिसे सुनामी कहते हैं।
भूकंप तथा सुनामी की तीव्रता का मापन रिक्टर स्केल के द्वारा होता है।
भूकंप तथा सुनामी दोनों ही घटनाओं में लाखों लोगों की मृत्यु होती है। भूकंप से भारी बर्बादी होती है। भवनों का गिरना, पूलों का टूट जाना, जमीन में दरार होना, दरारों से गर्म जल के सोते का निकलना, जैसी घटनायें सामान्य रूप से होती है।
सुनामी की लहरें तट पर विनाशलीला लाती है। इसमें भी तट के किनारे आनंद ले रहे पर्यटक, मछुआरे, और नारियल के -षक प्रभावित होते हैं।
भूकंपीय तरंग :
भूकंप के समय उठनेवाले कंपन को मुख्यतः प्राथमिक (P), द्वितीयक (S), तथा दिर्घ (L) तरंगों में बाँटा जाता है।
P~ तरंग सबसे पहले पृथ्वी पर पहुँचता है।
S अनुप्रस्थ तरंग है और इसकी गति प्राथमिक तरंग से कम होती है।
कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान : आपदा प्रबंधन अध्याय- 2 ( भूकंप एवं सुनामी )
भूकंप से बचाव के उपाय :
भूकंप से बचाव के निम्नलिखित प्रयास किए जा सकते हैं।
1.भूकंप का पूर्वानुमान : भूकंपलेखी यंत्र से संभावित बड़े भूकंप का पूर्वानुमान किया जा सकता है। जिससे क्षति को कम किया जा सकता है।
2.भवन निर्माण : भूकंप से विनाश को ध्यान में रखते हुए भवनों को भूकंप निरोधी तकनीकों के आधार पर बनाना चाहिए।
3.प्रशासनिक कार्य : भूकंप से होनेवाले बर्बादी को रोकने के लिए प्रशासनिक सर्तकता अति आवश्यक है। जैसे, अग्रिम कंपन के आधार पर भूकंप की संभावना बनती है तो उसे घोषित करने के लिए आधुनिक मीडिया तथा पुलिस और जिला प्रशासन को अधिक सक्रिय रहना चाहिए।
4.गैर सरकारी संगठनों का सहयोग : भूकंप या किसी भी प्रकार की आपदा प्रबंधन में स्वयंसेवी संस्थायें, विद्यालय और आम लोग बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। ये तत्काल राहत पहुँचाने में मदद कर सकते हैं। भूकंप से पूर्व लोगों को भूकंप निरोधी भवन निर्माण और भूकंप के समय बचाव हेतु प्रशिक्षित कर सकते हैं।
भूकंप के समय भागने के बदले अपने कमरे के किसी कोने में दिवार के सहारे खड़ा हो जाना चाहिए। क्योंकि वहाँ गिरने वाले मलवे का प्रभाव सबसे कम पड़ता है।
सुनामी से बचाव के उपाय :
सुनामी का विनाशकारी प्रभाव तटीय प्रदेशों में अधिक होता है। तट के किनारे कई मीटर ऊँचाई तक उठने वाले तरंग मोटरबोट, मछली पकड़ने वाले नाव और तट के किनारे के घरों को नष्ट कर देते हैं।
समुद्र के बीच में स्टेशन/प्लेटफार्म बना कर सुनामी का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है और इससे होने वाले क्षति को कम किया जा सकता है। यह समुद्र के नीचे क्षैतिज हलचलों का अध्ययन कर तट पर संकेत दे सकता है। जिससे लोगों को सावधान होने का समय मिल सकता है। तट के किनारे मछुआरे को तट पर न जाकर गहरे समुद्र में जाने का संदेश दे क्योंकि सुनामी समुद्र के बीच में अवरोधक के अभाव में विनाश नहीं करती है।
तटबंध निर्माण तथा मैंग्रोव झाड़ी का विकास :
सुनामी से होने वाले विनाश को कम करने के लिए कंक्रीट तटबंध बनाने की जरूरत है। तटबंध के किनारे मैंग्रोव वन के विकास कर इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।
तटीय प्रदेश के लोगों को प्रशिक्षण :
सुनामी से बचने के लिए तटीय प्रदेश के लोगों को प्रशिक्षण देना चाहिए। सुनामी की सुचना मिलते ही या तो समुद्र की तरफ या स्थलखंड की तरफ तुरंत भागने के लिए तैयार करना, सुनामी जल के स्थिर होने पर बचाव कार्य में लग जाना, घायलों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करना जैसे कार्यों को करना आवश्यक है।
आम लोगों के सहयोग तथा स्वयंसेवी और प्रशासकीय संस्थाओं की भागीदारी से ही भूकंप और सुनामी जैसी आपदाओं से राहत संभव है।