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नाखून क्यों बढ़ते हैं 

लेखक परिचय

लेखक का नाम- हजारी प्रसाद द्विवेदी

जन्म- 19 अगस्त 1907 ई0, उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के 'आरत दूबे का छपरा' नामक गाँव

मृत्यु- 19 मई 1979 ई0

पिता- श्री अनमोल द्विवेदी

माता- श्रीमति ज्योतिष्मति 

 अधिक जानकारी इस क्विज के बाद दिया गया है।

कक्षा 10 - हिन्दी गद्य खंड Chapter 4 नाखून क्यों बढ़ते हैं

अन्य महत्वपूर्ण जानकारी:-

इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही संस्कृत के माध्यम से हुई। उच्च शिक्षा के लिए ये काशी हिन्दु विश्वविद्यालय गए। वहाँ से इन्होनें ज्योतिषाचार्य की उपाधि प्राप्त की। कबीर पर गहन अध्ययन करने करने के कारण 1949 ई० में लखनऊ विश्वविद्यालय ने इन्हें पी० एच० डी० की मानक उपाधि से सम्मानित किया। 1957 ई0 में भारत सरकार के द्वारा इन्हें पद्मभूषण की उपाधि से सम्मानित किया गया।

साहित्यिक रचनाएँ - अशोक के फूल, कुटज, कल्पलता, वाणभट्ट की आत्म कथा, पुर्ननवा, चारुचन्द्रलेख, अनामदास का पोथा, हिन्दी साहित्य का उद्भव और विकाश, हिन्दी साहित्य की की भूमिका आदि।

पाठ परिचय - प्रस्तुत निबंध 'नाखून क्यों बढ़ते हैं' में मनुष्य की मनुष्यता का साक्षात्कार कराया गया है। लेखक के अनुसार नाखुनों का बढ़ना मनुष्य की पाशवी वृति का प्रतिक है और उन्हें काटना या न बढ़ने देना उसमें निहित मानवता का। आज से कुछ ही लाख वर्ष पहले मनुष्य जब वनमानुष की तरह जंगली था, उस समय नख ही उसके अस्त्र थे। आधुनिक मनुष्य ने अनेक विनाशकारी अस्त्र-शस्त्रों का निमार्ण कर लिया है। अतः नाखून बढ़ते हैं तो कोई बात नहीं, पर उन्हें काटना मनुष्यता की निशानी है। हमें चाहिए कि हम अपने भीतर रह गए पशुता के चिन्हों को त्याग दें और उसके स्थान पर मनुष्यता को अपनाएँ।

पाठ का सारांश

प्रस्तुत पाठ 'नाखून क्यों बढ़ते हैं' हजारी प्रसाद द्विवेदी के द्वारा लिखा गया है। इसमें लेखक ने नाखूनों के माध्यम से मनुष्य के आदिम बर्बर प्रवृति का वर्णन करते हुए उसे बर्बरता त्यागकर मानवीय गुणों को अपनाने का संदेश दिया है। एक दिन लेखक की पुत्री ने प्रश्न पूछा कि नाखून क्यों बढ़ते हैं ? बालिका के इस प्रश्न से लेखक हतप्रभ हो गए। प्रतिक्रिया स्वरूप लेखक ने इस विषय पर मानव-सभ्यता के विकास पर अपना विचार प्रकट करते हुए आज से लाखों वर्ष पूर्व जब मनुष्य जंगली अवस्था में था, तब उसे अपनी रक्षा के लिए हथियारों की आवश्यकता थी। इसके लिए मनुष्य ने अपनी नाखूनों को हथियार स्वरूप प्रयोग करने के लिए बढ़ाना शुरू किया, क्योंकि अपने प्रतिद्वन्द्वियों से जूझने के लिए नाखून ही उसके अस्त्र थे। इसके बाद पत्थर, पेड़ की डाल आदि का व्यवहार होने लगा। इस प्रकार जैसे-जैसे मानव सभ्यता का विकास होता गया, मनुष्य अपने हथियारों में भी विकास करने लगा।

उसे इस बात पर हैरानी होती है कि आज मनुष्य नाखून न काटने पर अपने बच्चों को डाँटता है, किन्तु प्रकृति उसे फिर भी नाखून बढ़ाने को विवश करती है। मनुष्य को अब इससे कई गुना शक्तिशाली अस्त्र-शस्त्र मिल चूके हैं, इसी कारण मनुष्य अब नाखून नहीं चाहता है। लेखक सोचता है कि मनुष्य किस ओर बढ़ रहा है ? मनुष्यता की ओर अथवा पशुता की ओर। अस्त्र-शस्त्र बढ़ाने की ओर अथवा अस्त्र-शस्त्र घटाने की ओर। आज के युग में नाखून पशुता के अवशेष हैं तथा अस्त्र-शस्त्र पशुता के निशानी है।

इसी प्रकार भाषा में विभिन्न शब्द विभिन्न रूपों के प्रतिक हैं। जैसे- इंडिपेंडेंस शब्द का अर्थ होता है अन-धीनता या किसी की अधीनता की अभाव, किंतु इसका अर्थ हमने स्वाधीनता, स्वतंत्रता तथा स्वराज ग्रहण किया है। यह सच है कि आज परिस्थितियाँ बदल गई हैं।

उपकरण नए हो गए हैं, उलझनों की मात्रा भी बढ़ गई है, परंतु मूल समस्याएँ बहुत अधिक नहीं बदली है। लेकिन पुराने के मोह के बंधन में रहना भी सब समय जरूरी नहीं होता। इसलिए हमें भी नएपन को अपनाना चाहिए। लेकिन इसके साथ हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि नये की खोज में हम अपना सर्वस्व न खो दें। क्योंकि कालिदास ने कहा है कि 'सब पुराने अच्छे नहीं होते और सब नए खराब नहीं होते।' अतएव दोनों को जाँचकर जो हितकर हो उसे ही स्वीकार करना चाहिए।

मनुष्य किस बात में पशु से भिन्न है और किस बात में एक ? आहार-निद्रा आदि की दृष्टि से मनुष्य तथा पशु में समानता है, फिर भी मनुष्य पशु से भिन्न है। मनुष्य में संयम, श्रद्धा, त्याग, तपस्या तथा दूसरे के सुख-दुःख के प्रति संवेदना का भाव है जो पशु में नहीं है। मनुष्य लड़ाई-झगड़ा को अपना आर्दश नहीं मानता है। वह क्रोधी एवं अविवेकी को बुरा समझता है।

लेखक सोचता है कि ऐसी स्थिति में मनुष्य को कैसे सुख मिलेगा, क्योंकि देश के नेता वस्तुओं के कमी के कारण उत्पादन बढ़ाने की सलाह देता है लेकिन बूढ़े आत्मावलोकन की ओर ध्यान दिलातें है। उनका कहना है कि प्रेम बड़ी चीझ है, जो हमारे भीतर है।

इस निबंध में लेखक ने मानवीता पर बल दिया है। महाविनाश से मुक्ति की ओर ध्यान खींचा है।

उम्मीद है आपको इस अध्याय का क्विज और सारांश पढ़कर अच्छा लगा होगा। आगे के अध्याय भी देख सकते है है - RSL PLUS