बिहार बोर्ड मैट्रिक 12TH के राजनीतिक शास्त्र पार्ट 1 (Political Science) अध्याय 1 :- शीत युद्ध का दौर  का OBJECTIVE (QUIZ) QUESTIONS दिए गए है इसकी मदद से आप अपने परीक्षा की तैयारी को और बेहतर बना सकते है, हर सवाल में सही उतर पर हरा रंग और गलत उतर पर लाल रंग दिखाएंगे सारे सवालों का जवाब देने के बाद अंत में आपको अपना परिणाम मिलेगा - RSL PLUS

 "शीत युद्ध का दौर" 

 शीत युद्ध क्या है?

शीत युद्ध दो महाशक्तियों, संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच एक राजनीतिक और सैन्य तनाव की स्थिति थी, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद शुरू हुई थी।

शीत युद्ध के कारण :- 

विचारधारात्मक मतभेद: संयुक्त राज्य अमेरिका पूंजीवाद और लोकतंत्र का समर्थन करता था, जबकि सोवियत संघ साम्यवाद और समाजवाद का समर्थन करता था।

सैन्य और आर्थिक शक्ति: दोनों देशों के पास परमाणु हथियार और मजबूत सैन्य बल थे, जिससे वे एक दूसरे के साथ सीधे युद्ध में नहीं जाना चाहते थे।

शीत युद्ध के प्रभाव :- 

विश्व को दो गुटों में बांटना: शीत युद्ध ने विश्व को दो गुटों में बांट दिया, एक संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में और दूसरा सोवियत संघ के नेतृत्व में।

सैन्य गठबंधन: दोनों देशों ने अपने-अपने सैन्य गठबंधन बनाए, जैसे कि नाटो और वारसा पैक्ट।

प्रचार और जासूसी: दोनों देशों ने एक दूसरे के खिलाफ प्रचार और जासूसी अभियान चलाए।

शीत युद्ध का अंत :- 

सोवियत संघ का पतन: 1991 में सोवियत संघ का पतन हो गया, जिससे शीत युद्ध का अंत हो गया।

 एकध्रुवीय विश्व: शीत युद्ध के बाद, विश्व एकध्रुवीय हो गया, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका एकमात्र महाशक्ति था।

अधिक जानकारी इस क्विज के बाद दिया गया है। 

कक्षा 12 -राजनीतिक विज्ञानं पार्ट 1 अध्याय 1

शीत युद्ध के बारे में और जानने के लिए यहाँ कुछ अतिरिक्त बिंदु हैं: 

शीत युद्ध के दौरान महत्वपूर्ण घटनाएं :- 

बर्लिन नाकाबंदी: 1948-49 में सोवियत संघ ने बर्लिन को नाकाबंदी कर दिया, जिससे पश्चिमी देशों ने बर्लिन को हवाई मार्ग से आपूर्ति की। 

कोरियाई युद्ध: 1950-53 में उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच युद्ध हुआ, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन शामिल थे। 

 क्यूबा मिसाइल संकट: 1962 में सोवियत संघ ने क्यूबा में परमाणु मिसाइलें तैनात कीं, जिससे संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। 

शीत युद्ध के प्रभाव :- 

सैन्य खर्च में वृद्धि: शीत युद्ध के दौरान दोनों देशों ने अपने सैन्य खर्च में वृद्धि की, जिससे उनके आर्थिक संसाधनों पर दबाव पड़ा। 

प्रौद्योगिकी में प्रगति: शीत युद्ध के दौरान दोनों देशों ने प्रौद्योगिकी में प्रगति की, जैसे कि अंतरिक्ष अन्वेषण और परमाणु ऊर्जा। 

शीत युद्ध का महत्व :- 

विश्व राजनीति में बदलाव: शीत युद्ध ने विश्व राजनीति में बदलाव लाया, जैसे कि नए देशों का उदय और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में बदलाव। 

आधुनिक विश्व की रचना: शीत युद्ध ने आधुनिक विश्व की रचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जैसे कि वैश्वीकरण और आर्थिक एकीकरण।

शीत युद्ध के प्रमुख नेता :- 

जोसेफ स्टालिन: सोवियत संघ के नेता जिन्होंने शीत युद्ध के शुरुआती वर्षों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

विंस्टन चर्चिल: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जिन्होंने शीत युद्ध के दौरान पश्चिमी देशों के साथ मिलकर काम किया। 

जॉन एफ कैनेडी: संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जिन्होंने शीत युद्ध के दौरान महत्वपूर्ण निर्णय लिए। 

मिखाइल गोर्बाचेव: सोवियत संघ के नेता जिन्होंने शीत युद्ध के अंत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

शीत युद्ध के प्रभाव आज भी :- 

अंतर्राष्ट्रीय संबंध: शीत युद्ध के प्रभाव आज भी अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में देखे जा सकते हैं। 

सैन्य शक्ति: शीत युद्ध के दौरान सैन्य शक्ति का महत्व बढ़ गया था, जो आज भी जारी है। 

वैश्वीकरण: शीत युद्ध के बाद वैश्वीकरण की प्रक्रिया तेज हुई है, जिससे विश्व अर्थव्यवस्था में बदलाव आया है। 

शीत युद्ध से सीख :- 

संचार और बातचीत: शीत युद्ध से हमें सीखने को मिलता है कि संचार और बातचीत के माध्यम से संघर्षों को हल किया जा सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: शीत युद्ध से हमें सीखने को मिलता है कि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समझौते के माध्यम से विश्व शांति और सुरक्षा को बढ़ावा दिया जा सकता है। 

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