बिहार बोर्ड मैट्रिक 10th गणित अध्याय – 12 (वृतों से सबंधित क्षेत्रफल) का OBJECTIVE (QUIZ) QUESTIONS दिए गए है इसकी मदद से आप अपने परीक्षा की तैयारी को और बेहतर बना सकते है, हर सवाल में सही उतर पर हरा रंग और गलत उतर पर लाल रंग दिखाएंगे सारे सवालों का जवाब देने के बाद अंत में आपको अपना परिणाम मिलेगा - RSL PLUS 


वृत्त (परिभाषा, क्षेत्रफल, परिधि, त्रिज्या, व्यास, जीवा, परिमाप) | Vrit Kise Kahate Hain

वृत्त किसे कहते है? (vrat ki paribhasha)

सरल शब्दों में कहें तो जितने भी गोलाकार जीजे आपके समक्ष मौजूद है, उन सब को वृत्त कहते है। सटीक परिभाषा की बात करें तो किसी समतल पृष्ठ पर एक बिंदु से समान दूरी पर बिंदुओं के समूह से बनी एक ऐसी आकृति जिसकी प्रत्येक बिंदु की दूरी मध्य बिंदु से समान हो उसे वृत कहते है।

वृत्त के मध्य में एक बिंदु होती है, जहां से हम बाकी बिंदुओं की दूरी को नापने है, उस मध्य बिंदु को वृत्त का केंद्र बिंदु कहते है। उस केंद्र बिंदु से दूरी मापी जाती है और चारों दिशाओं में उसे समान दूरी के आधार पर एक गोल रेखा खींची जाती है, जो हमें वृत्ताकार देता है।

वृत्त का गुणधर्म

चाहे कोई भी आकार हो उसके गुण धर्म के संबंध में हमें जानकारी होनी चाहिए। इस वजह से आपको विस्तार पूर्वक जानकारी नीचे दी जा रही है ताकि आपको समझ सके कि किन गुणों की वजह से एक आकार वृत बन पाता है।

  • एक वृत्त के परिधि पर मौजूद कोई भी बिंदु उस वृत्त के केंद्र बिंदु से समान दूरी पर होती है।
  • वृत्त के केंद्र बिंदु से जब परिधि के किसी एक बिंदु को हम मिल आते हैं तो इसे त्रिज्या कहते हैं।
  • परिधि पर मौजूद विपरीत दिशा के बिंदुओं को मिलाने से वृत का व्यास बनता है और वृत्त का व्यास एक वृत्त को दो बराबर हिस्सों में विभाजित करता है।
  • वृत्त का व्यास त्रिज्या का दुगना होता है और एक वृत्त के अंदर असंख्य त्रिजाएं हो सकती हैं।
  • वृत्त के परिधि पर दो विपरीत दिशा में मौजूद बिंदुओं को इस तरह मिलाते हैं कि वह केंद्र बिंदु को नाप हुए तो उस रेखा को हम जीवा कहते हैं और जब कोई त्रिज्या जीवा पर गिरती है, वह लंबवत होती है।
  • समान त्रिज्या वाले वृत्त एक दूसरे पर सर्वांगसम होते हैं।
अधिक जानकारी इस क्विज के बाद दिया गया है।

 

कक्षा 10 गणित अध्याय – 12 (वृतों से सबंधित क्षेत्रफल)

अन्य महत्वपूर्ण जानकारी :-

वृत की परिधि

जैसा कि हमने आपको बताया कि एक बिंदु से समान दूरी पर बिंदुओं का समूह इस प्रकार लगाया जाता है कि ऐसी आकृति बनती है, उस आकृति की कोई भी बिंदु मध्य बिंदु से समान दूरी पर होती है, जिसे हम वृत्त कहते हैं। ऐसे वृत्त को बनाने के लिए जिस रेखा को मध्य बिंदु से समान दूरी पर खींचा गया है, उस रेखा को परिधि कहते है।

परिधि हमें यह बताती है कि वृत्त कितनी दूरी घेर कर रखा है। एक वृद्ध अपने बाहरी इलाके से ही किसी जगह को गिरता है तो उसके बाहरी इलाके की लंबाई या हम यूं कह सकते हैं कि वृत्त के बॉर्डर की लंबाई कितनी है, उसकी परिधि से पता चलता है। 

  • वृत की परिधि = 2πr

वृत्त का चाप

वृत की परिधि से बनता है, उस परिधि पर मौजूद दो बिंदुओं के बीच की रेखा को वृत्त का चाप कहते हैं। हम यूं भी कह सकते हैं कि किसी वृत्त की परिधि पर 2 बिंदु के बीच के भाग को क्या कहते है, वह दोनों बिंदु जो वृत्त के परिधि पर स्थित है, उनकी दूरी केंद्र बिंदु से समान होती है।

वृत्त का क्षेत्रफल

अब से किसी वृत्त का क्षेत्रफल पूछा जाता है तो इसका तात्पर्य है कि वह अमृत किसी समतल पृष्ठ पर कितनी जगह छेक रही है, उसका माप पूछा जा रहा है।

वृत्त का क्षेत्रफल = π r^2 = π X r X r  (यहां r = वृत्त का त्रिज्या है)

वृत्त की त्रिज्या

किसी वृत्त के मध्य बिंदु से अगर हम एक रेखा खींचकर परिधि के किसी बिंदु को छू देते हैं तो यह एक त्रिज्या कहलाती है।

वृत की त्रिज्या = व्यास / 2

वृत्त का व्यास

व्यास एक लंबी रेखा होती है, जो वृत्त के परिधि पर मौजूद दो विपरीत दिशा के बिंदुओं को एक रेखा से मिलाने का कार्य करती है। व्यास की लंबाई त्रिज्या के दुगना होती है।

वृत्त का व्यास = 2 X त्रिज्या

वृत्त के उपवास के बारे में पता होना काफी आवश्यक है ताकि आप वृत्त की त्रिज्या के बारे में जानकारी पा सके वृत्त का व्यास अमित लंबाई के बारे में बताता है। अगर हम तृषा को दुगना कर दे दो वृत्त का व्यास होता है।

वृत्त की जीवा

वृत्त की जीवा एक ऐसी रेखा होती है, जो वृत्त के मध्य बिंदु को छुए बिना परिधि के दो विपरीत दिशाओं के बिंदुओं को मिलाती है। सरल भाषा में कहें तो एक वृत्त के परिधि पर दो विपरीत दिशा के बिंदुओं को अगर हम इस तरह मिलाएं कि वह वृत के मध्य बिंदु को ना छुए तो हम इसे जीवा कहेंगे।

यह भी पढे – आरोही क्रम और अवरोही क्रम (परिभाषा एवं अंतर)

वृत्त का परिमाप

वृत्त का परिमाप का अर्थ होता है वृत्त के बाहरी हिस्से की लंबाई कितनी है। अर्थात जब वृत्त के परिधि को हम ना पाएंगे तो उसका मान कितना आएगा।

वृत्त का परिमाप = 2 X π X r

आपको बता दें कि त्रिशा का परिमाप उसकी परिधि के माने के बराबर होता है तो अगर किसी वृत्त के त्रिज्या की लंबाई r है तो उसका परिमाप 2πr होता है।

वृत्तखंड

वृत्तखंड (Segment of Circle in Hindi / Formulas)
आज हम यहाँ इस पोस्ट में वृत्तखंड किसे कहते हैं ? वृत्तखंड की परिभाषा क्या है ? वृत्तखंड कितने प्रकार के प्रकार होते हैं ? -  लघु वृत्तखंड (Minor Segment of Circle) तथा दीर्घ वृत्तखंड (Major Segment of Circle) से सम्बंधित सभी सूत्र। वृत्तखंड से सम्बंधित सभी महत्त्वपूर्ण सूत्र / फार्मूला। वृत्तखंड का क्षेत्रफल, उदाहरण आदि के बारें में पढ़ेंगे।

वृत्तखंड (Segment of Circle)
किसी वृत्त में वृत्तखंड वह क्षेत्र है जो उस वृत्त के एक चाप तथा उसकी एक जीवा से घिरा होता है।

वृत्तखंड (Segment of Circle) के प्रकार


वृत्तखंड 2 प्रकार के होते हैं

  1. लघु वृत्तखंड (Minor Segment of Circle) 
  2. दीर्घ वृत्तखंड (Major Segment of Circle)


लघु वृत्तखंड (Minor Segment of Circle) : किसी वृत्त में लघु वृत्तखंड (Minor Segment of Circle) वह क्षेत्र है जो उस वृत्त के एक बड़ी चाप तथा उसकी एक जीवा से घिरा होता है।



दीर्घ वृत्तखंड (Major Segment of Circle) :  किसी वृत्त में दीर्घ वृत्तखंड (Major Segment of Circle) वह क्षेत्र है जो उस वृत्त के एक छोटी चाप तथा उसकी एक जीवा से घिरा होता है।

वृत्तखंड से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण सूत्र :
यदि किसी चाप द्वारा वृत्त के केन्द्र पर बना कोण ϴ तथा उस वृत्त की त्रिज्या r हो तो
  1. वृत्तखण्ड का क्षेत्रफल  = (πr2ϴ) / 360
  2. वृत्तखण्ड का परिमाप  = (चाप की लम्बाई + जीवा की लम्बाईं)
  3. वृत्तखण्ड के चाप की लम्बाई = (πrϴ/180)


व्यास के अलावा किसी और रेखा से जब हम वृत्त को भाग में विभाजित करते हैं तो छोटे वाले भाग को लघु वृत्तखंड और बड़े वाले भाग को दीर्घ वृत्त खंड कहते हैं।

  • लघु वृत्तखंड का क्षेत्रफल = θ / 360 × πR2 – 1/2 sin2θ
  • दीर्घ वृत्तखंड का क्षेत्रफल = πR2 – (θ / 360 × πR2 – 1/2 sin2θ)

त्रिज्या खंड

वृत्त के चांद के दो अंतिम बिंदुओं को अगर हम वृत्त के मध्य बिंदु से मिला दे तो त्रिज्यखंड का निर्माण होता है। चाँद के दोनों ओर के मध्य बिंदु को जब केंद्र बिंदु से मिलाते हैं तो नीचे वाला हिस्सा छोटा और ऊपर वाला हिस्सा बड़ा होता है। छोटे वाले हिस्से को हम लघु त्रिज्यखंड और ऊपर बड़े वाले हिस्से को दृग त्रिज्या खंड कहते हैं।

लघु त्रिज्यखंड के कुछ सूत्र

  • वृत्त की त्रिज्यखंड की चाप की लम्बाई = θ / 360 × 2πr
  • लघु त्रिज्यखंड का क्षेत्रफल = θ / 360 × πr2
  • वृतीय त्रिज्यखंड का परिमाप = θ / 360 × 2πr

दीर्घ त्रिज्या खंड के कुछ सूत्र

  • दीर्घ त्रिज्यखंड का क्षेत्रफल = πr2 – θ / 360 × πr2

वृत रेखा

वृत को जो रेखा छूती है, उसे हम अमृत रेखा कहते हैं। मगर इस तरह की रेखाओं को दो भागों में विभाजित किया गया है। ऐसी कोई रेखावृत्त को किसी एक बिंदु पर छू कर जाती है। अर्थात वृत के बाहर से कोई एक रेखा आती है और वृत्त के परिधि को किसी एक बिंदु से छू कर चली जाती है तो इसे हम वृत्त की स्पर्श रेखा कहते हैं।

दूसरी और ऐसी भी परिस्थिति आती है जब परिधि के बाहर से कोई रेखा वृत्त को बीच से काटती है, वह इस प्रकार होती है कि वृत्त के परिधि को दो बिंदुओं पर छूती है ऐसी रेखा को वृत्त की छेदक रेखा कहते हैं।

FAQ

वृत्त के परिमाप का सूत्र?

वृत्त का परिमाप 2πr होता है, जहाँ r वृत का त्रिज्या होता है।

किसी वृत्त में स्पर्श रेखा किसे कहते हैं

जब किसी वृत्त के बाहर से आई हुई कोई बिंदु वृत्त के परिधि को किसी एक बिंदु पर छू कर जाती है या किसी बिंदु को किसी एक बिंदु पर छूने वाली रेखा को हम स्पर्श रेखा कहते हैं।

वृत्त के क्षेत्रफल का सूत्र क्या होता है?

वृत्त का क्षेत्रफल = π r^2

वृत्त के क्षेत्रफल से त्रिज्या कैसे निकाले?

किसी वृत्त के क्षेत्रफल से त्रिज्या निकालने का सूत्र = √(वृत्त का क्षेत्रफल/ π 2)